करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर। करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर।
तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेली ही चल र तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेल...
मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कराहट की खातिर मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कर...
क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है। क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है।
साथ इज़्ज़त के गुज़र जाएं ये दिन.... । साथ इज़्ज़त के गुज़र जाएं ये दिन.... ।
कुछ तुम न चले कुछ हम न चले। कुछ तुम न चले कुछ हम न चले।